अदरक का उपयोग और सफेद दाग का फैलना- पंकज अवधिया
अदरक का उपयोग और सफेद दाग का फैलना
पंकज अवधिया
कोलकाता से मिलने आये एक सज्जन ने पूरे तीन घंटो का समय माँगा। वे विस्तार से चर्चा करना चाहते थे. अभी कुछ महिने पहले ही उनकी कोहनी में एक बिंदु के समान सफेद दाग ने तेजी से फैलना शुरू किया और फिर रुकने का नाम ही नही लिया। उन्होंने बताया कि छोटा सा दाग बचपन से था पर अब पूरे शरीर में इसका फैलना उनके लिए परेशानी का कारण बन रहा था. वे पेशे से बाडी बिलडर थे.
जब वे मुझसे मिलने आये तो उनके पास एक बड़ा सा थर्मस था. चर्चा शुरू करने से पहले बोले कि एक-एक कप चाय हो जाए फिर बात करेंगे। मैंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया और उन्हें चाय पी लेने की अनुमति दे दी. एक घंटे बाद फिर उनका थर्मस वाली चाय का प्रस्ताव आया तो मैंने फिर मना कर दिया।
हमने बहुत देर तक चर्चा की पर दाग के फैलने का कारण खोज नही पाये। इस तरह बिना किसी परिणाम के चर्चा अपने अंतिम दौर पर पहुँच गयी. अब आख़िरी में चाय का एक और प्रस्ताव आया. मैंने उनका दिल रखने के लिए आधी कप चाय के लिए हामी भर दी फिर जल्दी ही मुझे अपनी भूल का अहसास हुआ क्योंकि चाय बड़ी ही स्वादिष्ट थी. उन्होंने कप को पूरा भर दिया। चाय ने मन को प्रसन्न किया और समाधान के नये द्वार भी खोले।
चाय के बेहद शौक़ीन उस सज्जन की चाय में बड़ी मात्रा में अदरक डाला गया था जिससे यह बहुत अधिक स्वादिष्ट बन गयी थी. चाय निश्चित ही रोग को नही बढ़ा रही थी. रोग के बढ़ने का कारण अदरक का गलत प्रयोग था. सफ़ेद दाग के रोगियों को अदरक की मनाही है. तिस पर इतनी अधिक मात्रा में इसका उपयोग हानि पहुंचा रहा था.
अदरक बंद करते ही पहले सफेद दागों का फैलना रुका और फिर कुछ सप्ताह बाद वे गायव होने लगे.
आज मैं सोचता हूँ कि यदि चाय का वह आख़िरी प्रस्ताव मैंने ठुकरा दिया होता या वे चाय लेकर ही नही आते तो रोग के असली कारण का पता शायद ही कभी चल पाता।
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