सीताफल और मलेरिया जैसे लक्षण: पंकज अवधिया

सीताफल और मलेरिया जैसे लक्षण


पंकज अवधिया

पिछले दिनों एक ऐसे व्यक्ति  ने मिलने का समय लिया जो कुछ समय से ज्वर से पीड़ित था. उसे कंपकंपी देकर तेज ज्वर (फीवर) आता था. डाक्टरों ने इसे पहले वाइरल माना और फिर सारे टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी हवा में तीर चलाते हुए मलेरिया और टाइफाइड की दवाएं दे डाली। समस्या  जस की तस रही. 

हमेशा की तरह व्यक्ति से खान-पान से लेकर दवा-दारु की जानकारी ली गई. उस व्यक्ति ने चौकाने वाली बात का खुलासा किया कि उसे ऐसा ज्वर पिछले  दस सालों से आ रहा है दशहरे और दीपावली के बीच. उसके बाद साल भर सब ठीक रहता है. हर बार ऐसे ही दवाओं और टेस्ट का सिलसिला चलता है.

जब हमारी चर्चा फलों तक पहुँची तो  विचित्र रोग का कारण स्पष्ट होने लगा. महाश्य सीताफल के विकट प्रेमी थे. मौसम के दिनों में कई दिन तक वे भोजन के स्थान पर केवल सीताफल खा कर रह जाते थे. सीताफल का अधिक प्रयोग बिलकुल वैसे ही ज्वर जैसे लक्षण प्रकट करता है जैसे कि उस व्यक्ति में आ रहे थे. 

फसाद की जड़ के  बारे में जानते ही उस व्यक्ति ने सीताफल से तौबा कर ली।  मैंने उन्हें समझाया कि सीताफल खायें पर सम्भल के.  

आखिर उन्हें  विचित्र रोग से मुक्ति मिल ही गयी.  

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