बधिया करने वाली बूटी से हवन की गल्ती - पंकज अवधिया
बधिया करने वाली बूटी से हवन की गल्ती पंकज अवधिया अल सुबह सैर से लौटा तो एक परिचित दंपत्ति को घर के दरवाजे पर इन्तजार करते पाया . अभी पिछली रात ही तो इनकी शादी के समारोह से लौटा था. बड़े सकुचाते हुए पुरुष ने मुझे एक कोने में ले जाकर "बात" न बनने और उसके लिए कुछ उपाय बताने का अनुरोध किया। एक बारगी तो मुझे हंसी आ गयी कि एक रात में ही मैदान छोड़ आये. मैंने उन्हें कहा कि धैर्य रखें। सब कुछ ठीक हो जाएगा। बात आयी-गयी हो गयी. एक सप्ताह बाद फिर उनका फोन आ गया. "मुझे लगता है कि मैं नपुंसक होता जा रहा हूँ." उधर से आवाज आयी. महाशय नाना प्रकार की दवाओं के सेवन के बाद ऐसा कह रहे थे. अगली सुबह सैर से लौटते हुए उनके घर चला गया. घर में कुछ जलने की बास आ रही थी. कुछ धुआँ भी फैला हुआ था. उनकी पत्नी ने बताया कि वे रोज सुबह नहा-धोकर जड़ी-बूटियां जलाकर शरीर और घर की शुद्धि करते हैं. अचानक हवा का तेज झोका आया तो मेरा हाथ अपने आप नाक पर चला गया और मैं घर से बाहर भागा। धुएं में कुछ तो गड़-बड था. आग बुझा दी गयी. मैंने जड़ी-ब...