नाश्ते में ओट्स और वायु प्रकोप - पंकज अवधिया

नाश्ते में ओट्स और वायु प्रकोप 

पंकज अवधिया 

कुछ समय पूर्व गुजरात के राजकोट से बुलावा आया. अति सम्पन्न परिवार की एक वॄद्धा को मदद की जरूरत थी. राजकोट पहुँचा तो देखा कि एक बड़े से कमरे में वृद्धा को रखा गया है और जाने-माने डाक्टरों की सात सदस्यी टीम उनकी देखभाल में लगी है. उनको हायपरटेंशन और डायबीटीज़ दोनों की समस्या थी. तिस पर दोनों घुटने सूजे थे. जोड़ों में असहनीय दर्द था. मुख्य चिकित्सक ने आधे घंटे का प्रेजेंटेशन दिया। चिकित्सा की दिशा एकदम सही थी. कुछ करने की जरूरत नही थी. 

मैंने वापस लौटने का कार्यक्रम बनाया। एक बार वृद्धा से मिलने फिर पहुँचा तो कमरे में कुछ अजीब सी गंध महसूस हुयी। मैंने उनसे कहा कि आप चिंता न करे. शीघ्र ही आप ठीक हो जायेंगी। यदि आपको कुछ कहना हो तो कहें। उनका चेहरा दर्द से भर उठा और उन्होंने अपने पेट में हाथ रखकर कहा कि मुझे गैस से बचाओ। उनका पेट गैस के कारण बुरी तरह फूला हुआ था. उनको दिन भर में  दी जाने वाली २४ दवाओं में गैस के लिए भी गोलियां थी पर उनका असर नही हो रहा था. 

वृद्धा  को दिये जाने वाले भोजन की पड़ताल हुयी। फसाद की जड़ सुबह के नाश्ते में ही मिल गयी. उन्हें हृदय रोगी होने के कारण दिन में दो बार ओट्स दिया जा रहा था. ओट्स भले ही गुणो का भंडार है पर अत्यधिक गैस उत्पन्न करना इसका सबसे बड़ा दोष है. बाजार में ओट्स बेचने वालों को इसके बारे में साफ़-साफ़ जानकारी देनी चाहिए।

आशा के विपरीत चिकित्सा दल भी सहमत होता दिखा। ओट्स की मात्रा एक चौथाई कर दी गयी. अब मुझे १२ घंटे रूककर इस अनुमोदन का असर देखना था. शाम को उनकी तबियत में सुधार होने लगा. फिर सुबह आठ बजे मैं उनसे मिलने पहुँचा तो  उनका बिस्तर खाली था. वे नहा-धोकर मंदिर जाने की तैयारी कर रही थी. मैंने वापसी की राह पकड़ी और अगले ही दिन डाक्टरों का दल भी लौट आया.

मुंबई विमानतल पर एक अधेड़ ने आकर धन्यवाद दिया और एक पत्र दिया जिसमे लिखा था कि मैं सपरिवार जीवन में कभी भी उनके सात सितारा होटल में रुक सकता हूँ. सारा खर्च वे वहन करेंगे। 

 बात आत्म-संतुष्टि की थी. संतुष्टि तो मिली, साथ में नायाब तोहफा भी, हालांकि अब तक इस तोहफे के उपयोग का समय नही मिल पाया है.



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